दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको Durga Aarti PDF देने वाले हैं जिसे आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल से आसानी से डाउनलोड कर सकते हो | दोस्तों Durga Aarti PDF में आपको सभी देवी और देवताओ की आरती भी मिल जाएगी उन्हें भी आप पढ़ सकते हो | दोस्तों Durga Aarti PDF को कैसे डाउनलोड करें इसके बारे में आपको नीचे पूरी मिल जाएगी जिसे पढ़कर आप इस PDF को बिलकुल फ्री में डाउनलोड कर सकते हो |
Durga Aarti PDF – दुर्गा आरती पीडीऍफ़
आरती श्री दुर्गा जी की -:
अंबे तू है जगदंबे काली जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती |
तेरे भक्तजनों पर माता भीड़ पड़ी है भारी ||
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी |
सौ सौ सिंह से बलशाली है अष्टभुजा वाली |
दुष्टों को तू ही लाराकरती ओ मैया….
मां बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता ||
पूत कपूत सुने हैं पर माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणो दर्शाने वाली अमृत बरसाने वाली |
दुखियों के दुख देने भारती ओ मैया ||
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना
हम तो मांगे तेरे चरणों में छोटा सा एक कोना ||
सबकी बिगड़ी बनाने वाली लाज बचाने वाली
सखियों के सत्य को न भारती ओ मैया…..
PDF की Details -:
Name | श्री दुर्गा आरती PDF |
Size | 8.7 MB |
Page | 33 |
Language | Hindi |
Format | |
Download | Available ✔ |
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PDF डाउनलोड कैसे करें -:
दोस्तों Durga Aarti PDF को डाउनलोड करने के लिए आपको नीचे PDF का प्रीव्यू दिखाई देगा उसके नीचे आपको Download PDF Now का ऑप्शन दिखाई देगा उस पर क्लिक करके आप इस PDF को डाउनलोड कर सकते हो |
PDF का प्रीव्यू देखें -:
Download PDF Now : दुर्गा आरती |
1. आरती श्री गणेश जी की
सदा भवानी दाहिनी गौरी पुत्र गणेश | पांच देव रक्षा करें ब्रम्हा विष्णु महेश ||
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदंत दयावंत चार भुजाधारी। माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर श्याम शरण आए | सफल कीजे सेवा ||
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो शंभु सतवारी | कामना को पूरा करो जग बलिहारी ||
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
2. आरती ॐ जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे | ओम जय…
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का ||
सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का | ओम जय…
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी ||
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी || ओम जय…
तुम हो पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ||
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी | ओम जय…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता ||
मैं मूरत खल कामी, कृपा करो भरता | ओम जय…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति ||
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमुति | ओम जय…
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे ||
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे | ओम जय…
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ||
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा | ओम जय…
श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे ||
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे | ओम जय…
3. आरती श्री शिव जी की
जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप नृत्या त्रिभुवन जन मोहे॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहे भाल चंद्रबिन धारी॥
शेश मूणि जटाजूट श्रवण ज्योति सोहे।
भस्म केर ट्रिशूल सोहे भाला विषाले॥
करत सदा सुबहन त्रिगुण बाले।
अहंकार निरंकार निरवान रूप निराले॥
तेजोमये विद्यामये परमेश्वराय।
अलक्ष्य त्रिगुणातीत नामे तेरे जयेश्वराय॥
जगपालन करत जगकरण हारी।
तृभुवन में जनम सौभाग्य उबारी॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जय गिरिजापति।
चारों धाम पर भूतप्रेत सदावति॥
आरती कीजै जय शिव ओंकारा॥
बास्य जाती है पग धूलि उधारा।
देवन की प्रिय जाति सब नारा॥
आरती कीजै जय शिव ओंकारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
4. आरती श्री हनुमान जी की
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाई। लंका जारी सिया सुधि लाई॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे लाय सजीवन प्राणों उबारे ||
पैटी पताल तो जम कारों अहिरावण की भुजा उखारे ||
बाएं भुजा असुर दल मारे दाई भुजा संतजन तारे ||
सुर नर मुनि आरती उतारे जय जय जय हनुमान उतारे ||
कंचन थार कपूर लौ छाई आरती करत अंजना माई ||
जो हनुमान जी की आरती गावे बसी बैकुंठ परम पद पावें ||
लंका विध्वंस किए रघुराई तुलसीदास प्रमुख कीरत गाय ||
5. आरती श्री दुर्गा जी की
अंबे तू है जगदंबे काली जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती |
तेरे भक्तजनों पर माता भीड़ पड़ी है भारी ||
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी |
सौ सौ सिंह से बलशाली है अष्टभुजा वाली |
दुष्टों को तू ही लाराकरती ओ मैया….
मां बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता ||
पूत कपूत सुने हैं पर माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणो दर्शाने वाली अमृत बरसाने वाली |
दुखियों के दुख देने भारती ओ मैया ||
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना
हम तो मांगे तेरे चरणों में छोटा सा एक कोना ||
सबकी बिगड़ी बनाने वाली लाज बचाने वाली
सखियों के सत्य को न भारती ओ मैया…..
निष्कर्ष -:
दोस्तों आपने इस पोस्ट में जाना – Durga Aarti PDF को कैसे डाउनलोड करें फ्री में | दोस्तों – Durga Aarti PDF में आपको और भी सभी देवी – देवताओ की आरती भी मिल जाएगी उन्हें भी आप पढ़ सकते हैं | दोस्तों यदि आपको यह पीडीऍफ़ पसंद आये तो हमारे ब्लॉग को जरुर सुपोर्ट करें |
धन्यवाद –
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