दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको Prem Chand Biography In Hindi की PDF का लिंक देने वाले हैं जिस पर क्लिक करके आप Prem Chand Biography In Hindi की PDF को फ्री में डाउनलोड करके प्रेम चन्द्र के बारे में सम्पूर्ण जानकरी को पढ़ सकते हो और प्रेम चन्द्र के बारे में जान सकते हो | दोस्तों आइये जानते हैं Prem Chand Biography In Hindi की पीडीऍफ़ को कैसे डाउनलोड करते हैं |
दोस्तों PremChand Biography In Hindi की पीडीऍफ़ को कैसे डाउनलोड करें इसके बारे में आपको नीचे पूरी जानकरी मिल जाएगी जिसको पढ़कर आप PremChand Biography In Hindi की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते हो |
Prem Chand Biography In Hindi
Prem Chand Biography PDF Details -:
Name | मुंशी प्रेम चन्द्र बायोग्राफी PDF |
Size | 1.5 MB |
Page | 7 |
Language | Hindi |
Format | |
Download Link | Available ✔ |
👉Prem Chand Biography In Hindi
जीवन परिचय :
नाम | मुंशी प्रेमचंद |
बचपन का नाम | धनपत राय श्रीवास्तव |
उर्दू रचनाओं में नाम | नबाबराय |
जन्म | 31 जुलाई, 1880 |
मृत्यु | 08 अक्टूबर, 1936. |
पेशा | लेखक, अध्यापक, पत्रकार |
माता | आनंदी देवी |
पिता | अजायब राय |
पत्नी | शिवरानी देवी (1906-1938) |
पुत्र | अमृतराय, श्रीपथराय |
प्रमुख रचनाएँ | सेवासदन, निर्मला, रंगभूमि, गबन, गोदान, कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी, मानसरोवर,
नमक का दरोगा, पूस की रात, बड़े भाई साहब, मंत्र |
भाषा | उर्दू, हिन्दी |
शैली | वर्णनात्मक व्यंग्यात्मक, भावात्मक तथा विवेचनात्मक |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधांए | कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध |
साहित्य में स्थान | आधुनिक काल के सर्वोच्च उपन्यासकार एवं कहानीकार |
सम्पादन | माधुरी, मर्यादा, हंस, जागरण |
- गरीब परिवार में जन्म लेने तथा सात वर्ष की अल्पायु में ही मुंशी प्रेमचंद की माता आनंदी देवी की मृत्यु एवं 9 वर्ष की उम्र में सन् 1897 में उनके पिता जी का निधन हो जाने के कारण, उनका बचपन अत्यधिक कष्टमय रहा। परन्तु जिस साहस और परिश्रम से उन्होने अपना अध्ययन जारी रखा, वह साधनहीन एवं कुशाग्रबुद्धि और परिश्रमी छात्रों के लिए प्रेरणाप्रद है।
- प्रेमचंद का पहला विवाह पन्द्रह वर्ष की अल्पायु में उनके पिता जी ने करा दिया। उस समय मुंशी प्रेमचंद कक्षा 9 के छात्र थे। पहली पत्नी को छोड़ने के बाद उन्होने दूसरी विवाह 1906 में शिवरानी देवी से किया जो एक महान साहित्यकार थी। प्रेमचंद की मृत्यु के बाद उन्होने “प्रेमचन्द घर में” नाम से एक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी।
- प्रेमचंद की प्रारम्भिक शिक्षा 7 वर्ष की उम्र में एक स्थानीय मदरसे से शुरु हुई। जहां उन्होने हिन्दी के साथ उर्दू और अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त किया। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने का बाद, प्रारम्भ में वे कुछ वर्षों तक स्कूल में अध्यापक रहे। नौकरी के साथ ही उन्होने पढ़ाई जारी रखी। 1910 में अंग्रजी, दर्शन, फारसी और इतिहास लेकर इण्टर किया और 1919 में अंग्रेजी, फारसी और इतिहास लेकर बी.ए. किया। B.A. पास करने के बाद वे शिक्षा विभाग के सब-डिप्टी इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।
- 1921 में असहयोग आन्दोलन से सहानुभुति रखने के कारण मुंशी प्रेमचंद ने सरकारी नौकरी छोड़ दी और आजीवन साहित्य-सेवा करते रहे। उन्होने कई पत्रिकाओं का सम्पादन किया। इसके बाद उन्होने अपना प्रेस कोला तथा हंस नामक पत्रिका निकाली। लम्बी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 में उनका देहावसान हो गया।
साहित्यिक परिचयः-
मुंशी प्रेमचंद जी ने लगभग एक दर्जन उपन्यासों एवं तीन सौ कहानियों की रचना की उन्होने माधुरी एवं मर्यादा नामक पत्रिकाओं का सम्पादन किया तथा हंस एवं जागरण नामक पत्र भी निकाले। मुंशी प्रेमचंद उर्दू रचनाओं में नवाब राय के नाम से लिखते थे। उनकी रचनाएँ आदर्शोन्मुख यथार्थवादी है, जिनमें सामान्य जीवन की वास्तविकताओं का सम्यक चित्रण किया गया है। समाज सुधार एवं राष्ट्रीयता उनकी रचनाओं के प्रमुख विषय रहे है।
प्रेमचंद जी ने हिन्दी कथा साहित्य में युगान्तर उपस्थित किया। उनका साहित्य समाज-सुधार और राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत है। वह अपने समय की सामाजिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों का पूरा प्रतिनिधित्व करता है। उसमें किसानों की दशा, समाजिक बन्धनों में तड़पती नारियों की वेदना और वर्णव्यवस्था की कठोरता के भीतर संत्रस्त हरिजनों की पीडा का मार्मिक चित्रण मिलता है।
प्रेमचंद की सहानुभूति भारत की दलित जनता, शोषित किसानों, मजदूरों और उपेक्षित नारियों के प्रति रही है। सामयिकता के साथ ही उनके साहित्य मे ऐसे तत्वभी विद्यमान है, जो उसे शाश्वत और स्थायी बनाते है। मुंशी प्रेमचंद जी अपने युग के उन सिद्ध कलाकारों में थे, जिन्होने हिन्दी को नवीन युक की आशा-आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का सफल माध्यम बनाया।
प्रेमचंद की रचनाएः-
मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में प्रसिद्ध उपन्यास 18 से अधिक है, जिनमें सेवासदन, निर्मला, रंगभूमि, कर्मभूमि गबन, गोदन आदि प्रमुख है। उनकी कहानियों का विशाल संग्रह आठ भागों में मानसरोवर नाम से प्रकाशित है, जिसमें लगभग तीन सौ कहानियाँ संकलित है। कर्बला संग्राम और प्रेम की वेदी उनके नाटक है। साहित्यिक निबंध कुछ का एक श्रेष्ठ उपन्यास है।
प्रेमचंद की भाषाः-
मुंशी प्रेंमचंद जी उर्दू से हिन्दी में आए थे, अतः उनकी भाषा में उर्दू की चुस्त लोकोत्तियों तथा मुहावरों के प्रयोग की प्रचुरता मिलती है।
प्रेमचंद जी की भाषा सहज, व्यावहारिक, प्रवाहपूर्ण, मुहावरेदार एवं प्रभावशाली है तथा उसमें अद्भुत वंयजना शक्ति भी विद्यमान है। मुंशी प्रेमचंद जी की भाषा पात्रों के अनुसार परिवर्तित हो जाती है।
प्रेमचंद की भाषा में सादगी एवं आलंकरिकता का समन्वय विद्यमान है। बड़े भाई साहब नमक का दरोगा, पूस की रात आदि उनकी प्रसिद्ध कहानियाँ है।
प्रेमचंद की भाषा शैलीः-
मुंशी प्रेमचंद जी की शैली आकर्षक है। इसमें मार्मिकता है। उनकी रचनाओं में चार प्रकार की शैलियाँ उपलब्ध होती है। वे इस प्रकार है। वर्णानात्मक, व्यंगात्मक, भावात्मक तथा विवेचनात्मक। चित्रात्मकता मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं की विशेषता है।
मंत्र मुंशी प्रेमचंद की एक मर्मस्पर्शी कहानी है। इसमें विरोधी घटनाओं, परिस्थियों और भावनाको का चित्रण करके मुंशी प्रेमचंद जी ने कर्तव्य-बोध का अभीष्ट प्रभाव उतपन्न किया है। पाठक मंत्र मुग्ध होकर पूरी कहानी को पढ़ जाता है। भगत की अन्तर्व्दनव्दपूर्ण मनोदशा, वेदना एवं कर्तवयनिष्ठा पाठकों के मर्म को लेती है।
प्रेमचंद के उपन्यासः-
मुंशी प्रेमचंद के 18 प्रमुख उपन्यासों- गोदान, सेवा सदन, प्रेमाश्रय, निर्मला, रंगभूमि, कर्मभूमि, कालाकल्प, गबन, प्रेमा, रुठी रानी (प्रेमचंद का एक मात्र ऐतिहासिक उपन्यास) प्रतिज्ञा , वरदान, मंगलसूत्र।
प्रेमचंद की कहानी संग्रह-:
इनकी पहली कहानी ममता है। प्रेमचंद जी नाम से उनकी पहली चर्चित कहानी बड़े घर की बेटी जमाना पत्रिका के दिसम्बर 1910 के अंक में सबसे पहले प्रकाशित हुई। मुंशी प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियाँ मानसरेवर नामक पुस्तक द्वारा आठ भागों में प्रकाशित हुई है। जिनमें नवविधि, प्रेम पूर्णिमा, लाल फीता, नमक का दरोगा, प्रेम प्रसून, प्रेम द्वाद्वशी, प्रेम तीर्थ, प्रेम प्रतिज्ञा, सप्त सुमन, प्रेम पंचमी, प्रेरणा, समरयात्रा, पंच प्रसून, नव जीवन, बड़े घर की बेटी, सप्त सरोज आदि प्रमुख है।
प्रतिनिधि कहानिया -:
प्रेमचंद की प्रतिनिधि कहानियों में पंच परमेश्वर, सज्जनता का दंड, ईश्वरी न्याय, दुर्गा का मंदिर, आत्माराम, बूढ़ी काकी, सवा सेर गेंहू शतरंज के खिलाड़ी, माता का हृदय, सुजान भगत, इस्तीफा, अलग्योझा, पूस की रात, बड़े भाई साहब, होली का उपहार, ठाकुर का कुआं, बेटों वाली विधवा, ईदगाह, प्रेमप्रमोद, नशा, दफन आदि प्रमुख है।
कहानियों की सूचीः-
मुंशी प्रेमचंद की मानसरोवर के आठ भागों में प्रकाशित होने वाली 300 से अधिक कहानियों में से 118 के नाम निम्न हैः-
अनाथ लड़की 2. अन्धेर 3. अपनी करनी 4. अमृत 5. अलग्योझा 6. आखिरी तोहफा 7. आखिरी मंजिल 8. आत्म-संगीत 9. आत्माराम 10. आल्हा 11. इज्जत का खून 12. इस्तीफा 13. ईदगाह 14. ईश्वरीय न्याय 15. उद्धार 16. एक आँच की कसर 17. एक्ट्रेस 18. कप्तान साहब 19. कफन 20. कर्मो का फल 21. कबच 22. कातिल 23. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला 24. कौशल 25. क्रिकेट मैच 26. खुदी 27. गुल्ली डण्डा 28. गृह-दाह 29. गैरत की कटार 30. घमण्ड का पुतला 31. जुलूस 32. जेल 33. ज्योति 34. झाँकी 35. ज्योति 36. तांगेवाले की बड़ 37. तिरसूल 38. तेंतर 39. त्रिया-चरित्र 40. दण्ड 41. दिल की रानी 42. दुर्गा का मन्दिर 43. दूध का दाम 44. दूसरी शादी 45. देवी 46. देवी-एक और कहानी 47. दो बैलों की कथा 48. दो सखियाँ 49. धिक्कार 50. धिक्कार एक और कहानी 51. नबी का नीति निर्वाह 52. नमक का दरोगा 53. नरक का मार्ग 54. नशा 55. नसीहतों का दफ्तर 56. नाग पूजा 57. नादान दोस्त 58. निर्वासन 59. नेउर 60. नेकी 61. नैराश्य 62. नैराश्य लीला 63. पंच परमेश्वर 64. पत्नी से पति 65. परीक्षा 66. पर्वत यात्रा 67. पुत्र प्रेम 68. पूस की रात 69. पैपुजी 70. प्रतिशोध 71. प्रायश्चित 72. प्रेम सूत्र 73. बड़े घर की बेटी 74. बड़े बाबू 75. बड़े भाई साहभ 76. बन्द दरवाजा 77. बाँका जमींदार 78. बेटों वाली विधवा 79. बैंक का दिवाला 80. बोहनी 81. मनावन 82. मन्त्र 83. मन्दिर और मस्जिद 84. ममता 85. माँ 86. माता का हृदय 87. मिलाप 88. मुक्तिधन 89. मुबारक बीमारी 90. मैकू 91. मोटेराम जी शास्त्री 92.राजहठ 93. राष्ट्र का सेवक 94. स्वर्ग की देवी 95. लैला वफा का खजर 97. वासना की कड़ियां 98. विजय 99. विश्वास 100. शंखनाद 101. शराब की दुकान 102. शादी की वजह 103. शान्ति 104. शूद्र 105. सभ्यता का रहस्य 106. समर यात्रा 107. समस्या 108. सवा सेर गेहूँ नमक का दरोगा 109. सिर्फ एक आवाज 110. सैलानी बन्दर 111. सोहाग का शव 112. सौत 113. स्त्री और पुरुष 114. स्वर्ग की देवी 115. स्वर्ग की देवी 116. स्वांग 117. स्वामिनी 118. होली की छुट्टी
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FAQs
प्रेम चन्द्र की प्रमुख कहानी ?
प्रेमचंद (Premchand) भारतीय साहित्य के प्रमुख और प्रसिद्ध कहानीकार थे, और उनकी कई महत्वपूर्ण कहानियाँ हैं। उनमें से कुछ प्रमुख कहानियाँ निम्नलिखित हैं:
- गोदान (Godan): यह कहानी प्रेमचंद की सबसे प्रसिद्ध कहानी है, जो भारतीय समाज की सामाजिक समस्याओं और किसानों के जीवन के बारे में है। इस कहानी में, प्रमुख पात्र मुक्ता की गोदान (गाय का दान) के बारे में जुगतान की गई है, जो उसके और उसके परिवार के जीवन को कैसे प्रभावित करता है।
- ईदगाह (Eidgah): यह कहानी एक छोटे से लड़के के जीवन के बारे में है, जो अपनी ईदी (ईद पर मिलने वाला धन) के साथ कुछ चीजों की खरीददारी करने का सपना देखता है। इस कहानी में मानवता और सांत्वना के मूल्यों को साझा करने का संदेश है।
- नमक का दरोगा (Namak Ka Daroga): यह कहानी एक नमक के दरोगे के चरित्र के चारित्रिक विकास को दर्शाती है, जो न्याय के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति विश्वास करते हैं।
- शतरंज के खिलाड़ी (Shatranj Ke Khiladi): यह कहानी भारतीय शासकीय इतिहास के दौरान हुई ब्रिटिश और आवादी शासकों के समय में खेले गए शतरंज के मैच के बारे में है।
- प्रेमा (Prema): यह कहानी एक गरीब लड़की प्रेमा के जीवन के बारे में है, जो अपनी माता के साथ गरीबी और संघर्ष से भरपूर जीती है।
प्रेमचंद की कहानियाँ सामाजिक मुद्दों, मानवता, और मानवीय भावनाओं को गहराई से छूने वाली हैं, और उन्होंने भारतीय साहित्य को गर्वित करने का साधा है। उनके द्वारा रचित कहानियाँ आज भी पाठकों के बीच महत्वपूर्ण हैं और उनका काम आज भी महत्वपूर्ण है।
प्रेम चन्द्र की सबसे प्रसिद्ध कहानी कौन सी हैं ?
- ईदगाह
- जुलूस
- दो बैलों की कथा
- रामलीला
- बड़े भाई साहब
- नशा
- लाग-डाँट
- आत्माराम
प्रेम चन्द्र के उपन्यास का नाम क्या है ?
- “गोदान” (Godan)
- “निर्गुण्ठ” (Nirmala)
- “रागदरबारी” (Rangbhoomi)
- “कर्मभूमि” (Karmabhoomi)
- “गबन” (Gaban)
- “ईदगाह” (Eidgah)
- “रुपा” (Rupa)
- “निदा फ़ाज़ली” (Nida Fazli)
प्रेमचंद का सबसे बड़ा उपन्यास कौन सा है?
- प्रेमचंद का सबसे बड़ा उपन्यास “गबन” (Gaban) है। यह उपन्यास 1931 में प्रकाशित हुआ था और इसमें समाज में लोगों के नाम बदलकर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने की कवायद करने वाले प्रमुख पात्र की कहानी है। “गबन” प्रेमचंद के काव्य और सामाजिक संवाद कौशल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और यह उनके सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण उपन्यासों में से एक है।
Conclusion – निषकर्ष
दोस्तों आपने इस पोस्ट में जाना Prem Chand Biography In Hindi की पीडीऍफ़ को कैसे डाउनलोड करें | दोस्तों इस पीडीऍफ़ में आपको Prem Chand की पूरी Biography मिल जाएगी जिसको आप पढ़कर प्रेम चन्द्र के बारे में जान सकते हो | दोस्तों ये पीडीऍफ़ आपको कम्पलीट हिंदी में मिल जाएगी |
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