हिंदी आरती संग्रह PDF डाउनलोड – Aarti Sangrah PDF

दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको Aarti Sangrah PDF देने वाले हैं जिसमे आपको सभी देवी – देवताओ की आरती मिल जाएगी | इस Aarti Sangrah PDF को आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल में आसानी से बिलकुल फ्री में डाउनलोड कर सकते हो | दोस्तों यदि आप देवी – देवताओ की पूजा करते हो तो आपको इस Aarti Sangrah PDF को जरुर डाउनलोड करना चाहिए क्योकि इसमें आपको सभी प्रकार की आरती मिल जाती हैं, जिसे आप कभी भी, कही भी पढ़ सकते हो |

दोस्तों Aarti Sangrah PDF को कैसे डाउनलोड करे इसके बारे में आपको नीचे पूरी जानकरी मिल जाएगी जिसे पढ़कर अप Aarti Sangrah PDF को डाउनलोड कर सकते हो | दोस्तों यदि इस पीडीऍफ़ को डाउनलोड करने में आपको कोई भी दिक्कत आ रही हो तो आप हमे कमेंट कर सकते हो हम आपको प्रॉब्लम जरुर सोल्व करेंगे |

Aarti Sangrah PDF

Aarti Sangrah PDF
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Aarti Sangrah Contents – विषय सूची 

  • आरती श्री गणेश जी की
  • आरती ओम जय जगदीश
  • आरती श्री त्रिगुण जी की
  • आरती श्री शिव जी की
  • आरती श्री कुंज बिहारी
  • आरती श्री हनुमान जी की
  • आरती श्री अंबे जी की
  • आरती श्री दुर्गा जी की
  • आरती श्री लक्ष्मी जी की
  • आरती श्री सरस्वती जी की
  • आरती श्री गायत्री जी की
  • आरती श्री संतोषी माता
  • आरती श्री ज्वाला काली
  • आरती श्री गंगा जी की
  • आरती श्री सत्यनारायण जी की
  • आरती श्री रामचंद्र जी की
  • आरती श्री राम स्तुति
  • आरती श्री रामायण जी की
  • आरती मेहंदीपुर बालाजी की
  • आरती सालासर बालाजी की
  • आरती श्री खाटू श्याम जी की
  • आरती श्री विश्वकर्मा जी की
  • आरती श्री शनिदेव जी की
  • आरती श्री साईं बाबा जी की
  • आरती श्री भैरव जी की
  • श्री तुलसी जी की
  • आरती श्री नर्मदा जी की
  • आरती सोमवार की
  • आरती मंगलवार की
  • शांति पाठ
  • आरती बुधवार की
  • आरती बृहस्पतिवार की
  • आरती शुक्रवार की
  • आरती शनिवार की
  • आरती रविवार की
  • णमोकार महामंत्र
  • गायत्री महामंत्र
  • महामृत्युंजय मंत्र
  • क्षमा प्रार्थना

 

आरती संग्रह PDF की Details देखें 

Name Aarti Sangrah PDF (आरती संग्रह पीडीऍफ़)
Size 8.7 MB
Format PDF
Page 33
Language Hindi
Download Link ✔Avilable

 

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आरती संग्रह की PDF को डाउनलोड कैसे करें 

Aarti Sangrah PDF
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दोस्तों Aarti Sangrah PDF को डाउनलोड करने के लिए आपको नीचे Aarti Sangrah PDF का प्रीव्यू देखाई देगा उसके नीचे आपको Download PDF Now : आरती संग्रह का लिंक दिखाई देगा उस पर क्लिक करके आप Aarti Sangrah PDF को बिलकुल फ्री में डाउनलोड कर सकते हो |

दोस्तों यदि इस पीडीऍफ़ को डाउनलोड करने में आपको कोई भी दिक्कत आ रही हो तो आप हम कमेंट कर सकते हो हम आपको प्रॉब्लम को सोल्व जरुर करेंगे |

आरती संग्रह PDF का प्रीव्यू देखें 

                          ✔Download PDF Now : आरती संग्रह

 

👉Note -:

दोस्तों जो आप ऊपर Download PDF Now  : आरती संग्रह – का लिंक देख रहो हो उस पर क्लिक करके आप इस PDF को डाउनलोड कर सकते हो दोस्तों बैसे तो मैंने ऊपर आपको बता दिया था लेकिन मैंने सोचा मैं आपको फिर से बता देता हूं ताकि आप आसानी से इस पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सको |

 

1. आरती श्री गणेश जी की 
Aarti Sangrah PDF
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सदा भवानी दाहिनी गौरी पुत्र गणेश | पांच देव रक्षा करें ब्रम्हा विष्णु महेश ||

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदंत दयावंत चार भुजाधारी। माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करे सेवा॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर श्याम शरण आए | सफल कीजे सेवा ||

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन  की लाज राखो शंभु सतवारी |  कामना को पूरा करो जग बलिहारी ||

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

2. आरती ॐ जय जगदीश हरे
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ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,

भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे | ओम जय…

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का ||

सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का | ओम जय…

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी ||

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी || ओम जय…

तुम हो पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ||

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी | ओम जय…

तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता ||

मैं मूरत खल कामी, कृपा करो भरता | ओम जय…

तुम हो एक अगोचर,  सबके प्राण पति ||

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमुति | ओम जय…

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे ||

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे | ओम जय…

विषय विकार मिटाओ,  पाप हरो देवा ||

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा | ओम जय…

श्री जगदीश जी की आरती,  जो कोई नर गावे ||

कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे | ओम जय…

3. आरती श्री शिव जी की 
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जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप नृत्या त्रिभुवन जन मोहे॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

चंदन मृगमद सोहे भाल चंद्रबिन धारी॥

शेश मूणि जटाजूट श्रवण ज्योति सोहे।

भस्म केर ट्रिशूल सोहे भाला विषाले॥

करत सदा सुबहन त्रिगुण बाले।

अहंकार निरंकार निरवान रूप निराले॥

तेजोमये विद्यामये परमेश्वराय।

अलक्ष्य त्रिगुणातीत नामे तेरे जयेश्वराय॥

जगपालन करत जगकरण हारी।

तृभुवन में जनम सौभाग्य उबारी॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जय गिरिजापति।

चारों धाम पर भूतप्रेत सदावति॥

आरती कीजै जय शिव ओंकारा॥

बास्य जाती है पग धूलि उधारा।

देवन की प्रिय जाति सब नारा॥

आरती कीजै जय शिव ओंकारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

4. आरती श्री हनुमान जी की 
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आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाई। लंका जारी सिया सुधि लाई॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज संवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे लाय सजीवन प्राणों उबारे ||

पैटी पताल तो जम कारों अहिरावण की भुजा उखारे ||

बाएं भुजा असुर दल मारे दाई भुजा संतजन तारे ||

सुर नर मुनि आरती उतारे जय जय जय हनुमान उतारे ||

कंचन थार कपूर लौ छाई आरती करत अंजना माई ||

जो हनुमान जी की आरती गावे बसी बैकुंठ परम पद पावें  ||

लंका विध्वंस किए रघुराई तुलसीदास प्रमुख कीरत गाय ||

5. आरती श्री दुर्गा जी की 
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अंबे तू है जगदंबे काली जय दुर्गे खप्पर वाली |

तेरे ही गुण गाए भारती,

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती |

तेरे भक्तजनों पर माता भीड़ पड़ी है भारी ||

दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी |

सौ सौ सिंह से बलशाली है  अष्टभुजा वाली |

दुष्टों को तू ही लाराकरती ओ मैया….

मां बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता ||

पूत कपूत सुने हैं पर माता सुनी कुमाता |

सब पे करुणो दर्शाने वाली अमृत बरसाने वाली |

दुखियों के दुख देने भारती ओ मैया ||

नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना

हम तो मांगे तेरे चरणों में छोटा सा एक कोना ||

सबकी बिगड़ी बनाने वाली लाज बचाने वाली

सखियों के सत्य को न भारती ओ मैया…..

 

 

Conclusion – निष्कर्ष 

दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपने Aarti Sangrah PDF को कैसे डाउनलोड करे बिलकुल फ्री में इसके बारे में जाना | और मुझे उम्मीद हैं की अपने Aarti Sangrah PDF को डाउनलोड कर लिया होगा | दोस्तों इस पीडीऍफ़ में आपको सभी देवी – देवताओ की आरती सम्पुण मिल जाती हैं जिन्हें आप पूजा – पाठ करते समय पढ़ सकते हो |

दोस्तों यदि आपको Aarti Sangrah PDF को डाउनलोड करने में कोई भी दिक्कत आ रही हो तो आप मुझे कमेंट कर सकते हो हम आपको प्रॉब्लम को जरुर सोल्व करेंगे |

 

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