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दोस्तों यदि आप Laxmi Chalisa को पढ़ना चाहते हो तो आप पढ़ भी सकते हो आपको पूरा Laxmi Chalisa हिंदी में मिल जायेगा और यदि आप इसकी PDF डाउनलोड करना चाहते हो तो आप PDF भी डाउनलोड कर सकते हो |
देवी लक्ष्मी जी को धन समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है | लक्ष्मी जी की नित्य पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती | देवी लक्ष्मी एक बार खुश हो जाती हैं तो आप पर धन की बारिश भी हो सकती है | मां लक्ष्मी के पूजन का शुभ दिन शुक्रवार को माना गया है श्री लक्ष्मी चालीसा की रचना रामदास ने की थी | लक्ष्मी जी की आराधना के लिए श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए |
दोस्तों Laxmi Chalisa PDF कैसे डाउनलोड करें इसके बारे में आपको नीचे पूरी जानकारी मिल जाएगी जिसे पढ़कर आप आसानी से Laxmi Chalisa PDF को डाउनलोड कर सकते हो |
Laxmi Chalisa In Hindi PDF
लक्ष्मी चालीसा PDF Details -:
Name | लक्ष्मी चालीसा हिंदी PDF |
Size | 2.16 MB |
Page | 8 |
Language | Hindi |
Format | |
Download Link | Available ✔ |
कलयुग में जिन देवी देवताओं की सबसे ज्यादा पूजा होती है उनमें लक्ष्मी जी एक है | लक्ष्मी जी की नित्य पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती लक्ष्मी जी को धन और वैभव की देवी माना जाता है | समुंद्र मंथन के द्वारा लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी | समुंद्र मंथन के दौरान देवताओं को 14 रनों की प्राप्ति हुई जिनमें से एक लक्ष्मी जी थी | लक्ष्मी जी के एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरे हाथ अभय मुद्रा में था | देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना विशेष महत्वपूर्ण माना गया है इसमें महालक्ष्मी जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं |
लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से मनुष्य की दरिद्र्मा हमेशा के लिए खत्म हो जाती है | रोज नियम से इस चालीसा का पाठ करने से शुक्र ग्रह के दोष खत्म हो जाते हैं और शुक्र ग्रह से होने वाली पीड़ा दूर हो जाती है, जिससे धन लाभ और सुख समृद्धि मिलती है | लक्ष्मी जी की चालीसा पाठ करने से मनोकामना भी पूरी हो जाती हैं |
लक्ष्मी चालीसा कैसे पढ़े -:
सुबह – शाम नहाकर और साफ कपड़े पहन कर घर में पूजा के स्थान पर या लक्ष्मी मंदिर में जाकर लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए | यह चालीसा पढ़ते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए | आराम से और बिना गलती किए इस चालीसा का पाठ करना चाहिए | लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से पहले मां लक्ष्मी को घी का दीपक और धूप बत्ती लगाएं | पीले फूल चढ़ाएं और चंदन लगाएं इसके बाद लक्ष्मी जी का ध्यान करें और फिर लक्ष्मी चालीसा का पाठ शुरू करें |
पूजा विधि -:
महालक्ष्मी की पूजा यूं तो आप हफ्ते के हर दिन कर सकते हैं | लेकिन शुक्रवार को देवी की खास पूजा होती है | इस दिन महिलाएं वैभव लक्ष्मी का व्रत भी रखते हैं और विधिवत पूजा कर मां को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं | शुक्रवार के दिन अगर आप व्रत नहीं रख रहे तो भी पूजा की कुछ खास विधि के साथ आप माता लक्ष्मी की कृपा कर सकते हैं |
अष्ट लक्ष्मी का करें ध्यान -:
माता लक्ष्मी की पूजा खासकर शाम के वक्त होती है शुक्रवार की शाम आप हाथ पैर धोकर साफ कपड़े पहनकर अष्ट लक्ष्मी की पूजा करें अष्टलक्ष्मी की तस्वीर पर गुलाब का फूल चढ़ाएं फिर धूप दीपक दिखाएं इसके बाद ‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा’ का जाप करें माना जाता है कि इस तरह पूजा करने से माता सभी इच्छाएं पूरी करते हैं
लक्ष्मी नारायण की करें पूजा -:
भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के स्वामी यानी उनके पति हैं | ऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो विष्णु भगवान की पूजा भी करनी चाहिए | शाम के वक्त मां लक्ष्मी के साथ ही आप विष्णु भगवान की भी पूजा करें माना जाता है कि गहरे गुलाबी रंग के कपड़े में श्री यंत्र और मां अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित कर इस दिन पूजा करने से घर में संपन्नता आती है |
अष्टगंध चढ़ाये -:
शुक्रवार की शाम मां अष्ट लक्ष्मी के साथ ही श्री यंत्र को अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए | इसके साथ ही देवी की आरती करें माना जाता है कि ऐसा करने से मन को शांति मिलती है | घर में धन ध्यान आता है | माना जाता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से हर तरह से सुख बना रहता है |
( Disclaimer : यह दी गयी जानकारी सामान्य मान्यताओ और जानकारियो पर आधारित है PDF70 इसकी पुष्टि नहीं करता हैं | )
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श्री लक्ष्मी चालीसा -:
|| दोहा ||
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
॥ श्री लक्ष्मी चालीसा ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
|| श्री लक्ष्मी जी की आरती ||
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निशदिन सेवत मैयाजी को निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता ।
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता । ओ मैया तुम ही जग माता ।
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत नारद ऋषि गाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रूप निरंजनि सुख सम्पति दाता, ओ मैया सुख सम्पति दाता ।
जो कोई तुम को ध्यावत ऋद्धि सिद्धि धन पाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभ दाता, ओ मैया तुम ही शुभ दाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता, ओ मैया सब सद्गुण आता ।
सब संभव हो जाता मन नहीं घबराता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, ओ मैया वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव सब तुम से आता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरोदधि जाता, ओ मैया क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता , ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, ओ मैया जो कोई जन गाता ।
उर आनंद समाता पाप उतर जाता , ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
स्थिर चर जगत बचावे कर्म प्रेम ल्याता । ओ मैया जो कोई जन गाता ।
राम प्रताप मैय्या की शुभ दृष्टि चाहता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
लक्ष्मी चालीसा PDF Download कैसे करें -:
दोस्तों Laxmi Chalisa In Hindi PDF को डाउनलोड करने के लिए आपको नीचे Laxmi Chalisa PDF का प्रीव्यू दिखाई देगा उसके नीचे आपको Download PDF Now का ऑप्शन दिखाई देगा उस पर क्लिक करके आप इस पीडीऍफ़ को फ्री में डाउनलोड कर सकते हो |
लक्ष्मी चालीसा PDF प्रीव्यू देखें -:
FAQ -:
Question : लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से होने वाले लाभ क्या हैं ?
Ans – हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन ज्ञान की देवी माना गया है | धन वैभव की देवी लक्ष्मी जी को शक्ति का रूप भी माना गया है | लक्ष्मी जी की श्रद्धा पूर्वक आराधना लक्ष्मी चालीसा किसने लिखा हैकरने से मनुष्य को धन ध्यान तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है | मां लक्ष्मी की उपासना से वैवाहिक जीवन भी बेहतर होता है और यदि आप धन की समस्या से गुजर रहे हो तो विघिवत लक्ष्मी माता की पूजा करने से निश्चित रूप से धन लाभ होता है |
Question -: लक्ष्मी चालीसा किसने लिखा है ?
Ans – श्री लक्ष्मी चालीसा की रचना रामदास जी ने की थी | रामदास जी द्वारा रचित श्री लक्ष्मी चालीसा में कुल 40 छंद है | यह सभी छंद धन की देवी लक्ष्मी जी को समर्पित हैं | इनमें लक्ष्मी माता के शक्तियों का बखान किया गया है | जिससे सभी लोगों के दुख दूर हो जाते हैं | चालीसा का प्रत्येक छंद देवी की स्तुति करने के लिए समर्पित है | महालक्ष्मी धन भाग्य और समृद्धि की देवी है | ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के सभी प्रकार के धन संबंधी परेशानियों को दूर करते हैं तथा सभी भक्तों को ध्यान से परिपूर्ण हैं इसलिए मां लक्ष्मी के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करते हैं |
Question -: लक्ष्मी चालीसा पढ़ने की सही विधि क्या है ?
Ans – लक्ष्मी जी की आराधना करने के लिए प्रातकाल उठकर नित्य किया से निर्मित होकर स्नान करें | स्नान करने के बाद श्वेत या गुलाबी वस्त्र धारण करें | पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति को साफ लाल रेशमी कपड़े पर रखें | देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी एक तस्वीर या मूर्ति रखें |
यथाशक्ति कुमकुम, घी का दीपक, गुलाब की सुगंध वाली धूप, कमल का फूल, इत्र, चंदन, अबीर, गुलाल आदि से मां लक्ष्मी की पूजा करें | मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं तथा सच्चे मन से श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें अब अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें |
यह बात जरूर ध्यान रखें कि मां सिर्फ भाग देखती है | यदि आपका मन स्वच्छ नहीं है तो आप इतनी भी पूजा करें आपका कोई लाभ नहीं मिलेगा और मन स्वच्छ होने पर अगर आपके पास साधन की कोई कमी भी है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता |
Conclusion – निष्कर्ष
दोस्तों आपने इस पोस्ट में जाना lakshmi Chalisa PDF को कैसे डाउनलोड करे और लक्ष्मी चलीसा का पाठ कैसे करे इन सभी प्रकार की जानकरियो के बारे में | दोस्तों यदि आपको इस पीडीऍफ़ को डाउनलोड करने में कोई भी दिक्कत हो रही हैं तो आप हमे जरुर बतये |
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