दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको Mother Teresa Biography In Hindi की PDF का डाउनलोड लिंक देने वाले हैं जिसके ऊपर क्लिक करके आप Mother Teresa Biography In Hindi की PDF को फ्री में डाउनलोड कर सकते हो | दोस्तों इस पीडीऍफ़ में आपको Mother Teresa की कम्पलीट Biography मिल जाएगी जिसको आप पढ़कर Mother Teresa के बारे में कम्पलीट जान सकते हो |
दोस्तों अपने और अपने परिवार के लिए तो हर कोई सोचता हैं और बड़े – बड़े सपने देखता हैं, लेकिन जो लोग समाज और दूसरो के लिए सोचते हैं उनकी दुनीया में अलग ही पहचान बनती हैं | दूसरो के लिए सोचने और कुछ करने वालो में मदर टेरेसा का नाम शामिल हैं | मदर टेरेसा को किसी परिचय की जरुरत नहीं | अपना जीवन दूसरो के नाम कर देना ही उनकी असली कमाई है | तो आइये दोस्तों हम आपको मदर टेरेसा के बारे में पूरी जानकरी देने वाले हैं |
Mother Teresa Biography In Hindi
मदर टेरेसा बायोग्राफी PDF की डिटेल्स देखें
Name | मदर टेरेसा बायोग्राफी PDF |
Size | 1.2 MB |
Page | 4 |
Language | Hindi |
Format | |
Download Link | Available ✔ |
मदर टेरेसा की जीवनी -:
- मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कॉपिया (अब नॉर्थ मैसेडोनिया) के स्कॉपिया शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम निकोला बोयोजू था और माता का नाम द्राना बोयोजू था | उनका जन्म नाम अग्नेज गोंजा बोयाजीहू था। वे एक कथनीक ग्रीक कैथोलिक परिवार में पैदा हुई थीं। मदर टेरेसा का पिता एक संघटन श्रमिक थे और वे काफी गरीब थे।
- अग्नेज की मां का नाम ड्राना था, और वे अपनी मां की उम्र में ही गुजर गईं। यह घटना अग्नेज के जीवन में एक बड़ी चोट पहुंचाने वाली घटना थी, जिसके बाद वे भिक्षुणी बनने का निर्णय लेती हैं।
- अग्नेज ने पहली बार 12 साल की आयु में मैसेडोनिया के स्कॉपिया में दर्शनालय की यात्रा की और वहां एक दिव्य का आवास करने का समय बिताया। इस यात्रा के बाद, उन्होंने एक धार्मिक कहानी पढ़ी जिसमें वे एक गरीब और असहाय परिवार की सेवा करने का निर्णय लेती हैं।
- 1931 में, अग्नेज गोंजा बोयाजीहू को मैसेडोनिया के याद्रा कॉथोलिक डाक्टर का अध्यापक बनाया गया और वे कालकुटा, भारत गईं। वहां, उन्होंने स्ट. मैरी की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की और 1944 में वह एक साध्वी धर्मिक आदर्शना बन गईं, जिन्होंने खुद को भगवान की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
मदर टेरेसा की महत्वपूर्ण घटनाएँ:
- 1950 में, मदर टेरेसा ने कोलकाता में ‘गोद एवं कानुनी लाभ समाज’ की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य गरीबों, बेहद असहाय और अस्पताल में परेशान पेशेवरों की सेवा करना था।
- 1952 में, उन्होंने ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ यानी ‘दया की मिशनरियों’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य गरीब, असहाय, बिना घर के और मरनेवालों की मदद करना था।
- मदर टेरेसा को बहुत से पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें पद्मश्री, पद्मभूषण, नोबेल शांति पुरस्कार (1979) और भारत रत्न भी शामिल हैं।
- मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन गरीबों और बीमारों की सेवा में बिताया और उन्होंने विश्व भर में अपने सेवा कार्यों के लिए महत्वपूर्ण प्राशंसा और सम्मान प्राप्त किया।
मदर टेरेसा 5 सितंबर 1997 को कोलकाता, भारत में अपने आदर्शना साथीयों के साथ अपने आश्रम में बर्दाश्त की बीमारी के बाद अपनी आखिरी सांस ली। उन्होंने दुनिया को एक माँ के रूप में गरीबों की सेवा करने की महत्वपूर्ण शिक्षा दी और उनके योगदान को सलामी दी।
मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी
- वर्ष 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की जीवनपर्यांत मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। उन्होंने मरीजों के घावों को धोया, उनकी मरहमपट्टी की और उनको दवाइयां दीं।
- धीरे-धीरे उन्होंने अपने कार्य से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों में देश के उच्च अधिकारी और भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने उनके कार्यों की सराहना की।
- मदर टेरेसा के अनुसार, इस कार्य में शुरूआती दौर बहुत कठिन था। वह लोरेटो छोड़ चुकी थीं इसलिए उनके पास कोई आमदनी नहीं थी – उनको अपना पेट भरने तक के लिए दूसरों की मदद लेनी पड़ी। जीवन के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर उनके मन में बहुत उथल-पथल हुई, अकेलेपन का एहसास हुआ और लोरेटो की सुख-सुविधायों में वापस लौट जाने का खयाल भी आया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
- 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन से ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिल गयी। इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, लंगड़े-लूले, अंधों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी।
- ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ का आरम्भ मात्र 13 लोगों के साथ हुआ था पर मदर टेरेसा की मृत्यु के समय (1997) 4 हजार से भी ज्यादा ‘सिस्टर्स’ दुनियाभर में असहाय, बेसहारा, शरणार्थी, अंधे, बूढ़े, गरीब, बेघर, शराबी, एड्स के मरीज और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की सेवा कर रही हैं
- मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले । ‘निर्मल हृदय’ का ध्येय असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों का सेवा करना था जिन्हें समाज ने बाहर निकाल दिया हो। निर्मला शिशु भवन’ की स्थापना अनाथ और बेघर बच्चों की सहायता के लिए हुई।
- सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी असफल नहीं होता, यह कहावत मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई।
- जब वह भारत आईं तो उन्होंने यहाँ बेसहारा और विकलांग बच्चों और सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आँखों से देखा। इन सब बातों ने उनके ह्रदय को इतना द्रवित किया कि वे उनसे मुँह मोड़ने का साहस नहीं कर सकीं। इसके पश्चात उन्होंने जनसेवा का जो व्रत लिया, जिसका पालन वो अनवरत करती रहीं।
Note – दोस्तों मदर टेरेसा की पूरी बायोग्राफी को पढ़ने के लिए आप नीचे जाकर इनकी PDF को फ्री में डाउनलोड कर सकते हो |
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मदर टेरेसा की PDF कैसे डाउनलोड करें
दोस्तों Mother Teresa Biography In Hindi की PDF को डाउनलोड करें के लिए आपको नीचे इनकी PDF का प्रीव्यू दिखाई देखा उसके नीच आपको Download PDF Now का बटन दिखाई देगा उस पर क्लिक करके आप इस PDF को डाउनलोड कर सकते हो |
मदर टेरेसा बायोग्राफी PDF का प्रीव्यू देखें
Conclusion – निष्कर्ष
दोस्तों आपने इस पोस्ट में जाना Mother Teresa Biography In Hindi की पीडीऍफ़ को कैसे डाउनलोड करें | दोस्तों यदि आपको Mother Teresa Biography In Hindi की पीडीऍफ़ को डाउनलोड करने में कोई भी दिक्कत आ रही हो तो आप हमे जरुर बतये ताकि हम आपकी प्रॉब्लम को सोल्व कर सके |
FAQs
टेरेसा भारत क्यों आई ?
वे 1929 में भारत आई और शुरुआती परीक्षण का समय उन्होंने दर्जीलिंग में बिताया जहां उन्होंने बंगाली सीखी और 1931 में उन्होंने पहले धार्मिक प्रतिज्ञा ली उनके बचपन का नाम एक्नेस था लेकिन उन्होंने तरसा नाम भारत आने के बाद चुनाव क्योंकि वह अपने नाम से संत थे सीरीज ऑस्ट्रेलिया और तरसा ऑफ अबला को सम्मान देना चाहती थी |
मदर टेरेसा ने दुनिया को बदलने के लिए क्या किया ?
मदर टेरेसा ने कोलकाता से न्यूयॉर्क और अल्बानिया तक मरने वाले और अवांछित लोगों के लिए कई घर बनाए | वह एड्स पीड़ितों के लिए घर स्थापित करने वाली पहली महिलाओं में से एक थी | 50 से अधिक वर्षों तक इस साहसी व्यक्ति ने दुनिया भर के गरीबों मरने वालों और अवांछित लोगों को सत्यबना दी |
क्या मदर टेरेसा एक भारती थी ?
मदर टेरेसा ने कहा – खून से मैं अल्बानिया हूं| नागरिकता से, एक भारतीय | आस्था से में एक कैथोलिक नन हूं |
मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार क्यों मिला ?
मदर टेरेसा ने भारत में गरीब बेघर और भी वेसहारा लोगों के लिए जो काम किया उसकी सराहना दुनिया भर में की जाती है | वह भले ही भारत में नहीं जन्मी थी लेकिन उन्होंने भारत को अपनी कर्मभूमि बनाया और उनके कर्मों के लिए ही उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया |
मदर टेरेसा ने अपना घर क्यों छोड़ा ?
मदर टेरेसा ने 18 वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और आयरलैंड में उन्होंने अंग्रेजी सीखने के लिए कड़ी मेहनत की और फिर जनवरी 1920 में भारत आ गई जहां उन्होंने स्नातक होने के बाद ईसाई मिशनरियों के लिए काम करने का फैसला किया | उन्होंने 1931 में नैनो का कठिन प्रशिक्षण लिया और कोलकाता के स्कूलों में काम करना शुरू कर दिया |
मदर टेरेसा का पूरा नाम ?
मदर टेरेसा का पूरा नाम अगनेस गोंझा बोयोजिजू था |
मदर टेरेसा के पिता का नाम क्या है ?
मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोजशियु है |
मदर टेरेसा को मदर टेरेसा क्यों कहते हैं ?
मदर टेरेसा का असली नाम अगनेस गोंझा बोयोजिजू था उन्होंने अपना नाम त्याग कर टेरेसा नाम चुनाव वह अपने नाम से संत थेरेस ऑस्ट्रेलिया और टेरेसा ऑफ अबला को सम्मान देना चाहती थी इसलिए उन्होंने तरसा नाम चुन लिया |
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