दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको Surya Chalisa PDF का डाउनलोड लिंक देने वाले हैं जिसके ऊपर आप क्लिक करके Surya Chalisa PDF को डाउनलोड कर सकते हो | दोस्तों आपको इस पीडीऍफ़ में श्री सूर्य देव भगवान् का चालीसा सम्पूर्ण मिल जायेगा जिसे आप पूजा – पाठ करते समय पढ़ सकते हो | दोस्तों Surya Chalisa In Hindi में पीडीऍफ़ को डाउनलोड करना चाहते हो तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी नीचे मिल जाएगी जिसको पढ़कर आप इस पीडीऍफ़ को फ्री में डाउनलोड कर सकते हो |
श्री सूर्य देव चालीसा – Surya Chalisa PDF
Surya Chalisa PDF की डिटेल्स देखें
Name | Surya Chalisa PDF |
Size | 1.3 MB |
Page | 6 |
Language | Hindi |
Format | |
Download Link | Available ✔ |
सूर्य चालीसा का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है | इसका पाठ करने से आपके जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं | सूर्य चालीसा का पाठ करने से अज्ञत्ता का अंधकार दूर होकर जीवन में ज्ञान का प्रकाश सर्वत्र फैलता है | यदि हर रविवार को सूर्य चालीसा करें तो बहुत ही लाभकारी होता है | इसका पाठ करने से मन शांत रहता है |
सूर्य चालीसा का पाठ कब और किस प्रकार करें
दोस्तों वैसे तो आप किसी भी दिन सूर्य चालीसा का पाठ कर सकते हैं | परंतु रविवार को सूर्य देव का दिन माना गया है | इसलिए इस दिन किए गए पाठ का अपना अलग महत्व है | सूर्य चालीसा का पाठ आप प्रातः काल कर सकते हैं | सूर्य चालीसा का पाठ करने के लिए सूर्योदय के समय नित्य क्रिया तथा स्नान आज से निवृत होकर सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पण करें उसके बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें | सूर्य चालीसा पाठ के उपरांत सूर्य देव की आरती अवश्य करें |
सूर्य चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं
दोस्तों सूर्य चालीसा का पाठ करने पर सूर्य देव की कृपा प्राप्ति होती है | नित्य प्रत्यय प्रातः काल में स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को जल का अर्घ देने के पश्चात सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन सफलता प्राप्त होती है | वह सकारात्मक से उत्प्रोत रहता है तथा अज्ञानता उससे कोसों दूर रहती है | इसी के साथ व्यक्ति को जीवन में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति तथा धन वैभव की कभी कमी नहीं होती उसे हर प्रकार के रोगों तथा कासन से भी मुक्ति मिलती है |
श्री सूर्य देव चालीसा
॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥चौपाई॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ 1॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 2॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥3॥
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते॥4
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥5॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं, मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै, दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥6॥
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥7॥
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥8॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥9॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित, भास्कर करत सदा मुखको हित॥10॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥11॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥12॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥13॥
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे॥14॥
अस जोजन अपने मन माहीं, भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै॥15॥
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके॥16॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥17॥
परम धन्य सों नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥18॥
भानु उदय बैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता॥19॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥20॥
॥दोहा॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
Surya Chalisa PDF को कैसे डाउनलोड करें
दोस्तों Surya Chalisa PDF को डाउनलोड करने के लिए आपको नीचे इसी PDF का प्रीव्यू दिखाई देगा उसके नीचे आपको Download PDF Now का बटन दिखाई देगा उस पर क्लिक करके आप Surya Chalisa PDF को फ्री में डाउनलोड कर सकते हो
Surya Chalisa PDF का प्रीव्यू देखें
Conclusion – निष्कर्ष
दोस्तों आपने इस पोस्ट में जाना Surya Chalisa PDF को कैसे डाउनलोड करें और Surya Chalisa का पाठ कैसे करें | दोस्तों ये जो हमने आपको जानकरी दी हैं ये सब मान्यताओ के आधार पर हैं हमने अपनी तरफ से नहीं लिखी हैं | दोस्तों यदि आपको Surya Chalisa PDF को डाउनलोड करने में कोई भी दिक्कत आ रही हो तो आप हमे जरुर बताये हम आपको प्रॉब्लम को जरुर सोल्व करेंगे |
FAQs
रविवार को सूर्य को जल कैसे दें ?
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