दोस्तों यदि आप एक एकाउंटिंग की जॉब करना चाहते हो तो आपको टैली कोर्स को जरुर सीखना चाहिए | दोस्तों आजकल छोटी कंपनी से लेकर बड़ी कंपनी तक हर किसी में एकाउंटिंग की जरुरत पड़ती हैं, क्योकि किसी भी कंपनी का यदि आप हिसाव – किताव सही तरीके से रखना चाहते हो तो आपको टैली कोर्स आना चाहिए तभी आप सही तरीके से पता लगा सकते हो की कंपनी में कितना प्रॉफिट हुआ और कितना लोस हुआ | दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं Tally Notes PDF In Hindi में कैसे Download कर सकते हैं | दोस्तों नोट्स से आप घर बैठे टैली कोर्स को पूरा सीख सकते हो और कंप्यूटर या लैपटॉप पर प्रेक्टिस भी कर सकते हो | दोस्तों इस नोट्स में आपको टैली की पूरी जानकारी मिल जाएगी |
दोस्तों Tally Notes PDF In Hindi में Download करने के लिए आपको नीचे दिए गए कुछ सेटप को फॉलो करना होगा, उसके बाद आप अपने कंप्यूटर ,लैपटॉप या मोबाइल में Tally Notes PDF को डाउनलोड कर पयोगे |
Tally Notes PDF In Hindi
Tally का परिचय थ्योरी -:
हिसाब लिखने की मूल पुस्तक जर्नल हैं | इसका नाम फ़्रांसीसी शब्द Jour से बना हैं, जिसका अर्थ डायरी या लोग पुस्तक से हैं | जर्नल में लेखा करने की क्रिया को जर्नल लाईजिंग कहते हैं |
Journal Entry क्या होती हैं -:
जो भी हम किसी भी बड़े या छोटे व्यापार में लेन – देन या कोई भी सोदा करते हैं |
जैसे – : किसी भी कंपनी से माल खरीदना, किसी भी ब्यक्ति को माल बेचना, किसी को पैसा का भुगतान करना, किसी से पैसा का भुगतान लेना आदि सोदा हम करते हैं | उसे हम अपनी बुक में लिख लेते हैं ताकि हमे पता रहे की किसका कितना हिसाब हैं | उसे ही जर्नल एंट्री कहते हैं | दोस्तों इसका हिसाब – किताब रखने के लिए हम अपने कंप्यूटर में टैली सॉफ्टवेयर में साल्व्ड कर लेते हैं उसमे सब कुछ निकल आता हैं की हमने कितने का माल बेचा और कितने का ख़रीदा तथा किसको कितना पैसा देना हैं और कितना लेना हैं पूरी रेपोट्स तैयार कर देता है |
Journal में लेखा (Entry) करने के तीन नियम होते हैं
Notes – दोस्तों जिस प्रकार से इंग्लिश में टेंस करने के लिए तीन रूल की जरुरत पड़ती हैं उसी प्रकार से जर्नल एंट्री करने के लिए तीन रूल की जरुरत पड़ती हैं | जिस तरह से टेंस की पहिचान करने के बाद उसका रूल लगाते थे, उसी प्रकार से जर्नल एंट्री की पहिचान करने के बाद रुल लगाते हैं |
तो दोस्तों अब आइये जर्नल एंट्री की पहिचान देखते हैं और जर्नल एंट्री करने के रूल देखते हैं |
व्यक्तिगत खाते – Personal Account -:
इसके अन्तरगत किसी भी व्यक्ति का नाम, किसी भी संस्था का नाम, किसी भी कंपनी का नाम आदि के नाम से खाते खोले जाते हैं | पर्सनल एकाउंट कहलाते हैं |
जैसे -:
1 – राम का खाता, बैंक में खाता, वीनस ऑटोमोबाइल कंपनी में खाता आदि |
जर्नल एंट्री करने के नियम – Rule Of Accounting -:
पाने बाले व्यक्ति को Dr.( Debit ) करते हैं |
देने वाले व्यक्ति को Cr. ( Credit ) करते हैं |
जैसे – : राम से माल ख़रीदा – 2000 .
Purchase a/c Dr. 2000
Ram’s a/c Cr. 2000
Note – दोस्तों ये एक उदाहरण हैं इस एंट्री को हम सही प्रकार से समझने के लिए आगे देखेगे |
वास्तविक खाता – Real Account -:
जो खाते व्यपार की चल तथा अचल मूर्त तथा अमूर्त आदि सम्पति को दर्शाते हैं | वास्तविक खाते कहलाते हैं इसके अंतर्गत वस्तु आती है |
जैसे -:
फर्नीचर, मेज, टेबल, कंप्यूटर, रोकड़, आदि |
जर्नल एंट्री करने के नियम – Rule Of Accounting
व्यापार में आने वाली सम्पति को डेबिट ( Dr. ) करते हैं |
व्यपार से जाने वाली सम्पति को क्रेडिट ( Cr. ) करते हैं |
जैसे -: फर्नीचर ख़रीदा 20000
Furniture a/c Dr. 20000
Cash a/c Cr. 20000
अवास्तविक खाता – Nominal Account
जो खाते व्यपारिक की आय व्यय तथा हानि लाभ आदि को दर्शाते हैं | नोमिनल खाते कहलाते हैं |
जैसे -:
1 – वेतन दिया 2 – मजदूरी दी 3 – कमीशन मिला आदि |
जर्नल एंट्री करने के नियम – Rule Of Accounting
सभी व्यय एव हानि को डेबिट ( Dr. ) करते हैं |
सभी हानि एव लाभ को क्रेडिट ( Cr. ) करते हैं |
जैसे -: वेतन दिया 5000 .
Salary A/C Dr. 5000
Cash A/C Cr. 5000
Note –
दोस्तों ये थे जर्नल एंट्री करने के नियम की जर्नल एंट्री करते समय कौन – सा रूल किस एंट्री में लगेगे और कैसे लगेगा | दोस्तों अब देखेंगे जर्नल एंट्री करते समय उसका फोर्मेट कैसा बनाते हैं आइये जानते हैं –
जर्नल एंट्री करने का नमूना – Journal Entry Sample -:
राम से 20000 रू का माल ख़रीदा |
Date |
Particular |
Ledger Folio |
Amount Debit |
Amount Credit |
01-04-2021 |
Purchase A/C Dr. Ram’s A/C Cr. ( Being Goods Purchase From Ram ) |
1 |
20000 |
20000 |
- तारीक – Date
इसमे वह तिथि लिखी जाती हैं जिस तिथि पर सम्बन्धित सोधा या घटना होता हैं |
- विवरण – Particular
इसमें सम्बन्धित सोदा के नियम के नियम के अनुसार लेखा किया जाता हैं |
- प्रष्ट संख्या – Ledger Folio
इसमें वह संख्या लिखी जाती हैं जिसमे सम्बन्धित लेन – देन की खतोनी की गयी हो |
- राशी ऋण – Amount Debit
लेखा करते समय जिन मदों को डेबिट पक्ष में लिखा जाता हैं उनकी राशी इसमें लिखी जाती हैं |
- राशी धनी – Amount Credit
लेखा करते समय जिन मदों को क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता हैं उनकी राशी इसमें लिखी जाती हैं |
Tally Practical का परिचय -:
टैली का अर्थ हैं, पैसा और माल की गणना करना | अर्थात् कौन सी बस्तु कहाँ से खरीदी गयी और कहाँ पर बेचीं गयी और कितने में बेचीं गयी इन सभी की रिपोर्ट आप टैली सॉफ्टवेयर में आसानी से रख सकते हैं | Tally का पूरा नाम Transactions Allowed is a Line yards हैं | यही भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर हैं जिसे Tally Solution Pvt. Ltd नाम की Multination company ने बनाया हैं | यह कंपनी बैंगलोर की थी टैली को सन 1986 में श्याम सुन्दर गोयका और उनके बेटे भारत गोयका ने मिलकर बनाया था उस समय श्याम सुन्दर गोयका एक कंपनी चलाया करते थे |
दोस्तों आज के समय में टैली के बहुत वर्शन आ चुके हैं –
- Tally 6.3
- Tally 7.2
- Tally 8.1
- Tally 9
- Tally ERP 9
- Tally ERP 9 with GST
दोस्तों पहले हम अपने बिज़नस के लेनदेन को मोटे – मोटे रजिस्टर में लिखते थे लेकिन टैली सॉफ्टवेयर आने के बाद ये काम बहुत ही आसान हो गया हैं अब आप घंटो का काम मिनटों में कर सकते हो और अपनी रेपोट्स भी देख सकते हो आज के समय में मार्किट में टैली के कई वर्शन हैं लेकिन आज हम बात करेगे Tally ERP 9 GST वाली सॉफ्टवेयर के बारे में पूरी जानकारी देगे | तो आइये जानते हैं –
जर्नल एंट्री करते समय कुछ शब्द याद रखना जरुरी हैं
- प्रारम्भिक रहतिया – Opening Stock
वर्ष के अंत में जो माल पिचले वर्ष का रह जाता है उसे वर्ष के प्रारम्भ में लगाते हैं उसे प्रारम्भिक रहतिया कहते हैं |
- अंतिम रहतिया – Closing Stock
वर्ष के अंत में जो माल विकने से रह जाता हैं उसे क्लोजिंग स्टॉक कहते हैं |
- आवधिक विक्री – Turnover
एक निशचित अवधि तक होने वाली नकद एव उधार विक्री को Turnover कहते हैं |
- कमीशन- Commission
माल की मात्रा के आधार पर खरीद के समय दिए गए डिस्काउंट को कमीशन कहते हैं |
- कंपनी का पार्टनर – Partner
जव व्यापर में एक से ज्यादा व्यक्ति एक निश्चित अंश के रूप में कैपिटल ( पैसा या माल ) लगाकर व्यपार शुरू करते हैं तो उन्हें कंपनी का पार्टनर कहते हैं |
- कंपनी का मालिक – Properties
वह व्यक्ति जो व्यपार में कैपिटल ( पूंजी ) लगाता हैं ट्रेड का संचालन करता हैं प्रॉफिट एंड लोस का जिम्मेदार होता हैं उसे कंपनी का मालिक कहते हैं |
- सम्पति – Fixed Assets
सम्पति में वे सब वस्तुए आती हैं जो अधिक समय तक चलती हैं जिन्हें स्थाई सम्पति कहते हैं
- पूंजी – Capital
उस धन राशी या माल को पूजी कहा जाता हैं जिसे व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय में लगता हैं उसी से व्यापार शुरू किया जाता हैं
- आहरण – Drawing
व्यपार का स्वामी अपने प्रयोग के लिए जो धनराशि या माल व्यपार से अपने निजी प्रयोग के लिए निकालता हैं उसे आहरण कहते हैं |
- दायित्व – Liabilities
वह धन जो व्यापरी दुसरे को देता हैं दायित्व कहलाता हैं |
- माल – Goods
जिस वस्तु का कोई व्यापरी व्यपार करता हैं उसे माल कहते हैं |
- कटोती – Discount
कभी कभी व्यापारी अपने ग्राहक से वस्तु का पूरा मूल्य न लेकर कुछ छोड़ देता अंत माल के मूल्य में कुछ रियासत दे देता हैं उसे डिस्काउंट कहते हैं |
- व्यापारिक छुट – Trade Discount
इस छुट का प्रमुख्य उधेश्य माल की विक्री को बढाना आता हैं इसका पुस्तक में कोई लेखा नहीं होता हैं |
- नकद छुट – Cash Discount
इस छुट का प्रमुख्य उधेश्य कस्टमर से जल्द से जल्द भुगतान प्राप्त करना आता हैं इसका पुस्तक में लेखा किया जाता हैं |
- खाता – Account
जव किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष से सम्बन्धित सोदे छाटकर एक स्थान पर लिखें जाते हैं तो वह उस व्यक्ति या वस्तु विशेष का खाता कहलता हैं |
- प्रमाणक – Voucher
जव माल या धन लेन – देन किया जाता हैं तो उसे प्रमाणित करने के लिए जो प्रपत्र ( Document) त्तैयर किया जाता है उसे वाउचर कहते हैं |
- स्पष्टीकरण – Narration
रोजाना मचा ( Journal Entry ) के ठीक नीचे दिए गए संचिप्त विवरण को स्पष्टीकरण कहते हैं |
- आय – Income
व्यपारिक लेन – देन के कारण जो आमनदनी व्यपारी को होती हैं उसे आय कहते हैं |
- व्यय – Expenses
आय की उत्पत्ति के लिए प्रयुक्ति वस्तुओं की लागत व्यय कहलाती हैं | इससे व्यपारी को पूजी में कमी आती हैं |
- लेखा – Entry
प्रत्येक सोदे को पुस्तपालन के नियमो और सिधान्तो के अनुसार लेखा किया जाता हैं |
- जीवत स्कन्द – Live Stock
इसके अंतर्गत पशु पक्षी आदि आते हैं |
- पेशा– Profession
किसी विशेष योग्यता के द्वारा धन कमाना पेशा कहलाता हैं |
- व्यापार – Business
किसी वस्तु के क्रय – विक्रय या उत्पादक द्वारा धन कमाना व्यपार कहलाता हैं |
- असामान्य हानि – Abnormal Loss
जो हानि व्यापरी के लापरवाही आग लगना, माल चोरी होना या अन्य किसी आपदा के कारण होने वाली हानि को असामान्य हानि कहते हैं |
- देनदार – Debtors
इसमें सभी पर्सनल अकाउंट शामिल किये जाते हैं संस्था द्वारा जिन व्यक्ति या कंपनी को माल वेचा जाता हैं उन्हें देनदार कहाँ जाता हैं |
- लेनदार – Creditors
इसमे सभी पर्सनल अकाउंट शामिल किये जाते हैं | संस्था द्वारा जिन कंपनी या व्यक्ति से माल ख़रीदा जाता हैं उहे लेनदार कहते हैं |
- प्रत्यक्ष व्यय – Direct Expenses
जो व्यय प्रति इकाई किसी उत्पादक पर तय किये जाते हैं उन्हें प्रत्यक्ष व्यय कहते हैं |
- अप्रत्यक्ष व्यय – Indirect Expenses
जो व्यय प्रति इकाई किसी उत्पादक पर तय नहीं किये जाते हैं उन्हें अप्रत्यक्ष व्यय कहते हैं |
- नकद व्यापार – Cash Trade
जव व्यापरी किसी भी वस्तुओं की क्रय – विक्रय केवल नकद करता हैं उसे नकद व्यापार कहते हैं |
- उधार व्यापार – Credit Trade
जव व्यापरी किसी भी वस्तुओं की क्रय – विक्रय केवल उधार करता हैं उसे उधार व्यापार कहते हैं |
- क्रय – Purchase
व्यापारी जिस माल का व्यापार करता है उसकी खरीद को क्रय कहते हैं |
- विक्रय – Sales
व्यापारी जिस माल का व्यापार करता है उसकी विक्री को विक्रय कहते हैं |
- अशोध्य ऋण – Bad debts
व्यापारी द्वारा उधार वेचे गए माल में से जो पैसा डूब जाता हैं उसे अशोध्य ऋण कहते हैं |
- क्रय वापिसी – Purchase Returns
माल खरीदने के बाद यदि यह पता चलता है की जिस तरीके का माल व्यपारी चाहता हैं उस तरीका का नहीं हैं माल में कोई दोष हैं तो जितना माल वापिस किया जाता हैं उसे क्रय वापिसी कहते हैं |
- विक्रय वापिसी – Sales Returns
माल बेचना के बाद यदि यह पता चलता है की उस तरीके का माल व्यपारी चाहता हैं उस तरीके का नहीं हैं माल में कोई दोष हैं तो जितना माल वापिस आता हैं उसे विक्रय वापिसी कहते हैं |
Tally Notes PDF In Hindi – Download
दोस्तों Tally Notes में आपको Tally Theory और Tally Practical दोनों मिल जायेगे | जिसे आप आसानी से घर वैठे सीख कर किसी भी कंपनी में काम कर सकते हो |
दोस्तों आइये जानते हैं Tally Notes PDF In Hindi को आप डाउनलोड करते हो तो आपको क्या – क्या मिलता है |
Contents
Tally Theoretical Course
- Introduction to Journal ………………………………………………………………1
- Rule of Accounting………………………………………………………………………..1
- Journal Entry’s Meaning………………………………………………………………..7
- Journal Entry Hindi ………………………………………………………………………10
- Journal Entry English…………………………………………………………………….11
- Ledger…………………………………………………………………………………………….29
- Trial Balance………………………………………………………………………………….35
- Final Accounts………………………………………………………………………………41
Tally Course Practical
- Introduction to Tally………………………………………………………………………55
- Tally Software Knowledge …………………………………………………………….57
- Create New Company……………………………………………………………………58
- Company Feature Enable……………………………………………………………….61
- Ledger Create…………………………………………………………………………………..63
- Ledger Group……………………………………………………………………………………67
- Voucher Entry Create……………………………………………………………………..70
- Voucher Type…………………………………………………………………………………..72
Inventory Course Practical
- Introduction to Inventory……………………………………………………………..74
- Enable Inventory in Tally………………………………………………………………74
Inventory Question
- Accounts With Inventory……………………………………………………………..76
- Opening Stock……………………………………………………………………………….78
- Bill Wise Details……………………………………………………………………………..79
- Debit Note Credit Note………………………………………………………………..81
- Batch Wise Details…………………………………………………………………………82
- Budgets & Control………………………………………………………………………..84
- Godown & Categories………………………………………………………………….86
- Compound Unit…………………………………………………………………………….87
- Purchase & Sales Order………………………………………………………………89
- Price List………………………………………………………………………………………..91
GST – Goods And Service Tax
- Introduction to GST…………………………………………………………………….94
- Activate GST in Tally…………………………………………………………………….94
- Single GST Question…………………………………………………………………….95
- Multiple GST Question…………………………………………………………………96
- Multiple item GST Question………………………………………………………..96
- Tally Keyboard Shortcuts Key………………………………………………………98
Tally Course PDF की Details देखें –
PDF Name | Tally Notes PDF In Hindi |
Page No. | 102 |
Language | Hindi |
PDF Size | 5 MB |
Quality | Excellent |
Category | Computer |
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